श्री सीधे-सज्जन-सौम्य- शिष्ट, सत्य-सरल-व्यवहार। ऐसे गुरूवर आप थे, पंडित अष्विनी कुमार हिन्दी साहित्य के दैदिप्यमान नक्षत्र, शिक्षा-जगत के मूर्घन्य विद्वान, समाजसेवी एवं धर्मपरायण व्यक्ति श्री अष्विनी कुमार शर्मा का जन्म 15 अप्रैल 1965 के बकसपुर जिला-मुरैना(म.प्र.) से संभ्रान्त ब्राहण परिवार में हुआ, संस्कारित ब्राहण परिवार में जन्म लेने के कारण आपको घर में ही धार्मिक एवं साहित्यिक संस्कार प्राप्त हुए, आपकी प्रारम्भिक शिक्षा गुरूकुल पद्धति से हुई इसी का परिणाम रहा कि आप पर गुरू पं. देवव्रत जी शास्त्री के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्कारों की गहरी छाप पड़ी। आपने संस्कृत, हिन्दी, अर्थस्त्र एवं भूगोल विषयों में स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्राप्त की ।बी.एड के साथ ही एम.फिल. (संस्कृत साहित्य) किया, समय की बाध्यताओ के परिणाम स्परूप आपकी पी.एच.डी. (खाण्डेराय रासौ एवं जंगजस का साहित्य अध्ययन) अधूरी रह गई, परंतु फिर भी विभिन्न भाषाओं एवं विषयों में आपकी गहरी पकड़, गहन अध्ययन एवं ज्ञान का आपके बहुआयामी व्यक्तित्व पर स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता था। आप एक आदर्ष शिक्षक, महान शिक्षा विद्, कुषल प्रबंधक, श्रेष्ठ साहित्यकार, प्रखर वक्ता, एवं समाज सेवी थे। वाग्देवी के वरद् पुत्र श्री शर्मा जी की ख्याति पूरे क्षेत्र में एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कुषल मंच संचालन एवं मिलनसार व्यक्ति के रूप में भी थी। आपने 1987-88 से शा.उ.मा.वि. तलेन में शिक्षक के पद पर सेवाएं दी। कालान्तर में आपका स्थानांतरण शा.उ.मा.वि. पचोर में हो गया। इसी दौरान आपने शैक्षिक जगत में अनेक क्रांन्तिकारी परिवर्तन किये, आपकी प्रेरणा एवं सहयोग से ‘‘संस्कारधानी की परिकल्पना तैयार हुई और संस्कार एकेडमी नामक विद्यालय का बीजारोपण किया गया जो आज एक वटवृक्ष के रूप में पल्लवित हो चुका है। वहीं दूसरी और आपने कई साहित्यिक कृतियों का सम्पादन एवं प्रकाषन का गुरूत्तर दायित्व का निर्वहन किया जिसमें प्रमुख कृतियॉं -अनुभूति, धरती का मधुसंचय, गौरव, प्रदीपिका आदि हैं। काल के क्रूर हाथों ने आपको हमसे छीन लिया है। दिनांक 29 मार्च 2013 को आप ब्रहा्र ज्योति में लीन हो गयें और शिक्षा, साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति उत्पन्न हो गई। आपकी स्मृतियों को प्रणाम करते हुए संस्कार एकेडमी पचोर आपको अश्रुपूरित श्रद्धांजली समर्पित करते हुए अपने श्रद्धासुमन समर्पित करता है।